नई दिल्ली: अमेरिकी फेडरल रिजर्व के सख्त रुख और ब्याज दरों को लंबे समय तक उच्च स्तर पर बनाए रखने के संकेतों के चलते भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली। सप्ताह के चौथे कारोबारी दिन गुरुवार को बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी दोनों प्रमुख सूचकांक 1% से अधिक की गिरावट के साथ बंद हुए। यह लगातार चौथा सत्र है जब बाजार लाल निशान में बंद हुआ।
बाजार का हाल
गुरुवार को बीएसई सेंसेक्स 700 अंक से अधिक टूटकर 73,200 के आसपास बंद हुआ। वहीं, एनएसई निफ्टी भी करीब 225 अंकों की गिरावट के साथ 22,000 के स्तर के नीचे बंद हुआ। वैश्विक बाजारों से मिले नकारात्मक संकेतों के बीच निवेशकों की चिंताएं बढ़ीं, जिससे चौतरफा बिकवाली देखने को मिली।
फेडरल रिजर्व का प्रभाव
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने अपनी हालिया बैठक में संकेत दिए कि महंगाई को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दरें लंबे समय तक ऊंचे स्तर पर बनी रह सकती हैं। इसके अलावा, भविष्य में दरों में कटौती की उम्मीदें भी कमजोर होती नजर आ रही हैं। इसका असर वैश्विक शेयर बाजारों पर पड़ा, और भारतीय बाजार भी इससे अछूता नहीं रहा।
प्रमुख सेक्टरों में गिरावट
शेयर बाजार में आज के सत्र में सभी प्रमुख सेक्टरों में बिकवाली हावी रही।
- बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर: इसमें भारी गिरावट दर्ज की गई।
- आईटी सेक्टर: अमेरिकी मंदी की आशंका के चलते आईटी स्टॉक्स पर दबाव बना।
- मेटल और ऑटो सेक्टर: वैश्विक मांग में सुस्ती के संकेतों से इन क्षेत्रों में भी गिरावट देखने को मिली।
बड़े शेयरों का हाल
सेंसेक्स के प्रमुख शेयरों में रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक, इंफोसिस, टीसीएस और आईसीआईसीआई बैंक के शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई।
निवेशकों की प्रतिक्रिया
विशेषज्ञों के अनुसार, फेडरल रिजर्व के सख्त रुख के कारण वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बनी हुई है। घरेलू निवेशक भी सतर्क रुख अपना रहे हैं। इसके अलावा, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बिकवाली का दबाव भी भारतीय बाजार पर लगातार बना हुआ है।
आगे की रणनीति
विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार में आने वाले दिनों में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे सुरक्षित और मजबूत कंपनियों के शेयरों में ही निवेश करें और लंबी अवधि की रणनीति अपनाएं।
निष्कर्ष: फेडरल रिजर्व के कड़े रुख और वैश्विक बाजारों में नकारात्मक रुख के चलते भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का सिलसिला जारी है। बाजार की दिशा अगले कुछ दिनों में वैश्विक संकेतों और आर्थिक आंकड़ों पर निर्भर करेगी।